# भारतातील काही व्रत-वैकल्ये आणि सण #
सण हे प्रत्येक देशात साजरे केले जातात पण भारतात प्रत्येक सणांचा एक असा वेगळाच अंदाज आहे,कौटुंबिक प्रेम,भाऊबंदकी किंवा सामाजिक व्यवस्थेला अनुसरून सणांची काही महत्वाची टोकं आहेत आपल्या संस्कृतीमध्ये प्रत्येक सणाला एक अशी खासियत आहे ज्याला अनुसरून आपली सण साजरे केले जातात विशेषता अशी की निसर्गाला अनुसरून प्रत्येक सण साजरा केला जातो हवामानातील ऋतुमानानुसार प्रत्येक सण येत असतो आणि या वातावरणाला अनुसरूनच सण साजरे केले जातात.
आपल्या संस्कृतीतील व्रत-वैकल्य आणि सण –
आपल्या भारतात विविध संस्कृती गुण्यागोविंदाने नांदत आहेत त्यामुळे अगदी विविधतेमध्ये एकता असल्यासारखं प्रत्येक भारतातल्या त्या-त्या राज्यात अगदी उत्साहात सण साजरे केले जातात त्याचंच विवरण आपण करणार आहोत-
# भारतातील महत्वपूर्ण सांस्कृतिक सण उत्सव [ तारखेनुसार ] #
सणाचे नाव | 2021 | 2022 | 2023 |
दिवाळी | ४ नोव्हेंबर | २४ ऑक्टोबर | १२ नोव्हेंबर |
दसरा | १५ ऑक्टोबर | ५ ऑक्टोबर | २४ ऑक्टोबर |
होळी | २९ मार्च | १८ मार्च | ७ मार्च |
कृष्णजन्माष्टमी | ३० ऑगस्ट | १८ ऑगस्ट | ६ सप्टेंबर |
गणेश चतुर्थी | १० सप्टेंबर | ३१ ऑगस्ट | १९ सप्टेंबर |
रक्षाबंधन | २२ ऑगस्ट | ११ ऑगस्ट | ३० ऑगस्ट |
ईद | १३ मे | ९ जुलै | २२ एप्रिल |
ख्रिसमस | २५ डिसेंबर | २५ डिसेंबर | २५ डिसेंबर |
गुरु नानक जयंती | १९ नोव्हेंबर | ८ नोव्हेंबर | २७ नोव्हेंबर |
भारतातील काही धार्मिक सण –
सणांची नावे | 2021 | 2022 | 2023 |
महाशिवरात्री | ११ मार्च | १ मार्च | १८ फेब्रुवारी |
फुलेरा द्वितीया [पक्ष द्वितीया ] | १५ मार्च | ४ मार्च | २१ फेब्रुवारी |
गुड फ्रायडे | २ एप्रिल | १५ एप्रिल | ७ एप्रिल |
ईस्टर संडे | ४ एप्रिल | १७ एप्रिल | ९ एप्रिल |
रंगपंचमी | २ एप्रिल | २२ मार्च | १२ मार्च |
गुडीपाडवा | १३ एप्रिल | २ एप्रिल | २२ मार्च |
रामनवमी | २१ एप्रिल | १० एप्रिल | ३० मार्च |
चैत्र गौरी तृतीया | १५ एप्रिल | १८ मार्च | २४ मार्च |
अक्षय तृतीया | १४ मे | ३ मे | २२ एप्रिल |
बुद्धपौर्णिमा | २६ मे | १६ मे | ५ मे |
गंगा दशहरा | २० जून | ६ जून | ३० मे |
मिथुन संक्रांति | १५ जून | १५ जून | १५ जून |
जगन्नाथ रथयात्रा | १२ जुलै | १ जुलै | २० जून |
जयापार्वती व्रत | २५ जुलै | ११ जुलै | १ जुलै |
हरियाली त्रितिया | ११ ऑगस्ट | ३१ जुलै | १९ ऑगस्ट |
नागपंचमी | १३ ऑगस्ट | २ ऑगस्ट | २१ ऑगस्ट |
उपाकर्म | २२ ऑगस्ट | ११ ऑगस्ट | ३० ऑगस्ट |
कजरी तिज | २५ ऑगस्ट | १४ ऑगस्ट | २ सप्टेंबर |
बहुला चौथं | २५ ऑगस्ट | १५ ऑगस्ट | ३ सप्टेंबर |
हर छठ | २८ ऑगस्ट | १७ ऑगस्ट | ५ सप्टेंबर |
पर्युषण | ४ सप्टेंबर | २६ जानेवारी | |
हरितालिका त्रितिया | ९ सप्टेंबर | ३० ऑगस्ट | १८ सप्टेंबर |
ऋषिपंचमी | ११ सप्टेंबर | १ सप्टेंबर | २० सप्टेंबर |
संतान सप्तमी | १४ सप्टेंबर | ४ सप्टेंबर | २३ सप्टेंबर |
राधा अष्टमी/महालक्ष्मी व्रत | १३ सप्टेंबर | १७ सप्टेंबर | २३ सप्टेंबर |
अनंत चतुर्दशी | १९ सप्टेंबर | ३० ऑगस्ट | २८ सप्टेंबर |
श्राद्ध | २० सप्टेंबर – ६ ऑक्टोबर | १० सप्टेंबर – २५ सप्टेंबर | २९ सप्टेंबर- १४ ऑक्टोबर |
जीवितपुत्रिका | २८ सप्टेंबर | ६ ऑक्टोबर | |
नवरात्री | ७ ऑक्टोबर | २६ सप्टेंबर | १५ ऑक्टोबर |
बटुकम्मा पूजन | ६ ऑक्टोबर | १४ ऑक्टोबर | |
नवपत्रिका पूजन | १२ ऑक्टोबर | २ ऑक्टोबर | २१ ऑक्टोबर |
सरस्वतीपूजन | १६ फेब्रुवारी | ५ फेब्रुवारी | २१ ऑक्टोबर |
कोजागिरी पौर्णिमा | १९ ऑक्टोबर | ९ ऑक्टोबर | २८ ऑक्टोबर |
करवा चौथं | २४ ऑक्टोबर | १३ ऑक्टोबर | १ नोव्हेंबर |
अहोई अष्टमी | २८ ऑक्टोबर | १७ ऑक्टोबर | ५ नोव्हेंबर |
धनतेरस | २ नोव्हेंबर | २३ ऑक्टोबर | १० नोव्हेंबर |
नरक चतुर्दशी | ४ नोव्हेंबर | २४ ऑक्टोबर | १२ नोव्हेंबर |
आद्य काली पूजा | ४ नोव्हेंबर | २४ ऑक्टोबर | १२ नोव्हेंबर |
गोवर्धन पूजा / अन्नकुट | ५ नोव्हेंबर | २६ ऑक्टोबर | १४ नोव्हेंबर |
भाईदुज / यमद्वितीया | ६ नोव्हेंबर | २६ ऑक्टोबर | १४ नोव्हेंबर |
छठ पूजा | १० नोव्हेंबर | ३० ऑक्टोबर | १९ नोव्हेंबर |
गोपाष्टमी | ११ नोव्हेंबर | १ नोव्हेंबर | २० नोव्हेंबर |
अक्षय आवळा नवमी | १२ नोव्हेंबर | २४ नोव्हेंबर | २१ नोव्हेंबर |
जगद्धात्री पूजा | १२ नोव्हेंबर | २१ नोव्हेंबर | |
तुलसीविवाह | १५ नोव्हेंबर | २० नोव्हेंबर | २४ नोव्हेंबर |
वैकुंठ चतुर्दशी | १७ नोव्हेंबर | २७ नोव्हेंबर | २५ नोव्हेंबर |
मणिकर्णिका स्नान | १८ नोव्हेंबर | २५ नोव्हेंबर | |
विवाह पंचमी | ८ डिसेंबर | २८ नोव्हेंबर | १७ डिसेंबर |
मांडला पूजा | २७ डिसेंबर | २७ डिसेंबर | २७ डिसेंबर |
एकादशी व्रत आणि तिथी –
हिंदू शास्त्रानुसार एकादशी ही तिथं खूप अनन्यसाधारण अशी समजली जाते…विशेषतः वारकरी संप्रदायात या तिथीला विशेष असे महत्व आहे…एकादशीच्या दिवशी संपूर्ण दिवस उपवास केला जातो…आरोग्याच्या दृष्टीने काहीजण उपवास करतात तर काही जण धार्मिक दृष्ट्या उपवास करताना दिसतात…आरोग्याच्या दृष्टीने अशासाठी म्हंटल कारण एकादशी ही १५ दिवसांनी येत असते त्यात आपल्या पचनशक्तीवर लंघन करणं हा सर्वोत्तम असा उपाय मानला जातो कारण सारखं पोटात काही ना काहीतरी खात राहणं म्हणजे पचनशक्तीला आराम न देणं असं समजलं जात म्हणून आपल्या पचनशक्तीला आराम म्हणून लंघन केले जाते…म्हणूनच आरोग्याच्या दृष्टीने एकादशीला अनन्यसाधारण असे महत्व आहे.एकादशी ही भगवान विष्णूला स्मरून केली जाते प्रत्येक वर्षात एकूण २६ एकादशी असतात प्रत्येक एकादशीची अशी एक पौराणिक कथा आहे. खाली आपण प्रत्येक एकादशी नेमकी कधी येते हे आपण पाहणार आहोत-
एकादशीचे नाव | पक्ष | २०२१ | २०२२ | २०२३ |
सफला | कृष्ण | ८ जानेवारी | १९ डिसेंबर | No |
पौष पुत्रदा | शुक्ल | २४ जानेवारी | १३ जानेवारी | २ जानेवारी |
षष्ठीला | कृष्ण | ७ फेब्रुवारी | २८ जानेवारी | १८ जानेवारी |
जया | शुक्ल | २२ फेब्रुवारी | १२ फेब्रुवारी | १ फेब्रुवारी |
विजया | कृष्ण | ८ मार्च | २७ मार्च | १६ फेब्रुवारी |
आमलकी | शुक्ल | २४ मार्च | १४ मार्च | ३ मार्च |
पापमोचिनी | कृष्ण | ७ एप्रिल | २८ मार्च | १८ मार्च |
कामदा | शुक्ल | २३ एप्रिल | १२ एप्रिल | १ एप्रिल |
वरुठिनी | कृष्ण | ६ मे | २६ एप्रिल | १६ एप्रिल |
मोहिनी | शुक्ल | २२ मे | १२ मे | १ मे |
अपरा | कृष्ण | ५ जून | २६ मे | १५ मे |
निर्जला | शुक्ल | २१ जून | ११ जून | ३१ मे |
योगिनी | कृष्ण | ५ जुलै | २४ जून | १४ जून |
देव शयनी | शुक्ल | २० जुलै | १० जुलै | २९ जून |
कामिका | कृष्ण | 3 ऑगस्ट | २४ जुलै | १३ जुलै |
पुत्रदा | शुक्ल | १८ ऑगस्ट | ८ ऑगस्ट | २७ ऑगस्ट |
अजा | कृष्ण | २ सप्टेंबर | २३ ऑगस्ट | १० सप्टेंबर |
परिवर्तिनी/ डोल ग्यारस | शुक्ल | १७ सप्टेंबर | ६ सप्टेंबर | २५ सप्टेंबर |
इंदिरा | कृष्ण | २ ऑक्टोबर | २१ सप्टेंबर | १० ऑक्टोबर |
पापांकुशा | शुक्ल | १६ ऑक्टोबर | ६ ऑक्टोबर | २५ ऑक्टोबर |
रमा | कृष्ण | १ नोव्हेंबर | २१ ऑक्टोबर | ९ नोव्हेंबर |
प्रबोधिनी/ देव उठनी | शुक्ल | १४ नोव्हेंबर | ४ नोव्हेंबर | २३ नोव्हेंबर |
उत्पन्ना | कृष्ण | ३० नोव्हेंबर | २० नोव्हेंबर | ८ डिसेंबर |
मोक्षदा | शुक्ल | १४ डिसेंबर | ३ डिसेंबर | २३ डिसेंबर |
पद्मिनी (अधिक मास) | कृष्ण | blank | blank | blank |
परमा (अधिक मास) | शुक्ल | blank | blank | blank |
तर अधिक महिन्यातील काही एकादशीची नावे यात दिलेली आहेत पण खरे पाहता अधिक महिना हा तीन वर्षानंतर येत असल्याने त्या एकादशीची तारीख नमूद केली गेली नाही याची नोंद वाचकांनी घ्यावी.
हिंदू पंचांगानुसार प्रत्येक महिन्यात दोन पक्ष असतात शुक्ल पक्ष आणि कृष्ण पक्ष जे नेहमी अमावास्या आणि पौर्णिमा यामध्ये येतात किंवा पौर्णिमा आणि अमावास्या या दोन्हीच्या मध्ये येत असतात.प्रत्येक वर्षात १२ पौर्णिमा असतात.पौर्णिमेच्या दिवशी किंवा एक दिवस आधी सत्यनारायण देवाची पूजा केली जाते कारण त्या दिवशी पूजेचे महत्व असते.पूर्णिमेच्या दिवशी चंद्र मात्र पूर्ण स्वरूपात असतो ज्या दिवशी उपवासाचे महत्व असते खूप नियमानुसार उपवास हिंदू धर्मात केला जातो.पुढील प्रमाणे पौर्णिमा हि तारखेप्रमाणे मांडलेली आहे.
महिन्यातील पौर्णिमा | महत्व | २०२१ | २०२२ | २०२३ |
चैत्र | हनुमान जयंती | २७ एप्रिल | १६ एप्रिल | ६ एप्रिल |
वैशाख | बुद्ध जयंती | २६ मे | १६ मे | ५ मे |
जेष्ठ | वट सावित्री | १० जून | २९ मे | ४ जून |
आषाढ | गुरु पौर्णिमा | २३ जुलै | १३ जुलै | ३ जुलै |
श्रावण | रक्षाबंधन /नारळी पौर्णिमा | २२ ऑगस्ट | ११ ऑगस्ट | ३० ऑगस्ट |
भाद्रपद | श्राद्ध /पितृ | २० सप्टेंबर | ९ सप्टेंबर | २९ सप्टेंबर |
अश्विन | शरद पौर्णिमा/कोजागिरी | १९ ऑक्टोबर | ९ ऑक्टोबर | २८ ऑक्टोबर |
कार्तिक | गुरुनानक जयंती | १८ नोव्हेंबर | ८ नोव्हेंबर | २७ नोव्हेंबर |
अग्रहन्य पौर्णिमा | दत्त जयंती | १८ डिसेंबर | ७ डिसेंबर | २६ डिसेंबर |
पौष पौर्णिमा | पुशी पूणव | २८ जानेवारी | १७ जानेवारी | ६ जानेवारी |
माघ | माघ मेला | २६ फेब्रुवारी | १७ जानेवारी | ५ फेब्रुवारी |
फाल्गुन | होळी | २९ मार्च | १८ मार्च | ७ मार्च |
अमावास्या हि हिंदू कालमापनातील तिसावी तिथ आहे ज्यादिवशी पृथ्वीवरून चंद्राचा भाग न दिसता अप्रकाशित भाग दिसतो ती तिथी अमावास्या असते प्रत्येक अमावास्येला आपल्या हिंदू संस्कृतीत महत्व आहे म्हणूनच दर महिन्यातल्या अमावास्येला काही ना काही तरी संबोधतात याचीच माहिती आणि अमावास्येची तारीख पुढील रकान्यात मांडलेली आहे –
महिना | महत्व | २०२१ | २०२२ | २०२३ |
चैत्र | चैत्र अमावस्या | ११ एप्रिल | ३१ मार्च | २१ मार्च |
वैशाख | वैशाख अमावस्या | ११ मे | ३० एप्रिल | २० एप्रिल |
जेष्ठ | शनि जयंती | १० जून | ३० मे | १९ मे |
आषाढ | सोमवती अमावस्या | १२ जून | २८ जून | १८ जून |
श्रावण | श्रावण अमावस्या/दीप अमावास्या | ८ ऑगस्ट | २७ जुलै | १७ जुलै |
भाद्रपद | पिठोरी अमावस्या [चंद्र ग्रहण] | ६ सप्टेंबर | २६ ऑगस्ट | १४ सप्टेंबर |
अश्विन | सर्वपित्री अमावस्या | ६ ऑक्टोबर | २४ सप्टेंबर | १४ ऑक्टोबर |
कार्तिक | दिवाळी | ४ नोव्हेंबर | २५ ऑक्टोबर | १३ नोव्हेंबर |
अग्रहन्य अमावस्या | मार्गशीर्ष अमावस्या/वेळा अमावास्या | ३ डिसेंबर | २४ नोव्हेंबर | १२ डिसेंबर |
पौष अमावस्या | पौष अमावस्या | १२ जानेवारी | २ जानेवारी | |
माघ | मौनी अमावस्या | ११ फेब्रुवारी | १२ फेब्रुवारी | २१ जानेवारी |
फाल्गुन | सूर्य ग्रहण | १२ मार्च | १९ फेब्रुवारी |
शेतकऱ्यांचे काही सण-
सणांची नावे | २०२१ | २०२२ | २०२३ |
लोहारी | १३ जानेवारी | ५ फेब्रुवारी | १३ जानेवारी |
मकर संक्रांति | १४ जानेवारी | १४ जानेवारी | १५ जानेवारी |
वसंत पंचमी | १६ फेब्रुवारी | ५ फेब्रुवारी | २६ जानेवारी |
बैसाखी | १४ एप्रिल | १४ एप्रिल | १४ एप्रिल |
ओणम | १२ ऑगस्ट | ८ सप्टेंबर | २० ऑगस्ट |
पोळा | ६ सप्टेंबर | २७ ऑगस्ट | १४ सप्टेंबर |
हिंदू संस्कृतीमध्ये तिथींना विशेष असे महत्व आहे प्रत्येक तिथीवर उपवास असतो किंवा कुठल्याही देवतेची पूजा हिंदू संस्कृतीमध्ये केली जाते याचेच विवरण खालीलप्रमाणे केले आहेत.
नाव | विवरण |
कालाष्टमी | कृष्ण पक्ष अष्टमी |
प्रदोष | प्रत्येक म्हण्यातील त्रयोदशी |
मासिक शिवरात्री | प्रत्येक महिन्यातील चतुर्दशी |
संकष्टी चतुर्थी | प्रत्येक महिन्यातील कृष्ण पक्षात संकष्टी चतुर्थी येत |
भानू सप्तमी | जेव्हा सप्तमीच्या दिवशी रविवार असेल तेव्हा तिला भानुसप्तमी म्हणतात |
स्कंद षष्ठी | शुक्ल पक्ष आणि पंचमी जेव्हा एकत्र येईल तेव्हा स्कंद षष्ठी म्हणतात |
रोहिणी व्रत | जेव्हा रोहिणी नक्षत्र सूर्योदयानंतर प्रबळ होत |
सत्यनारायण पूजा | प्रत्येक पौर्णिमा किंवा पौर्णिमेच्या आदल्या दिवशी करतात |
मंगळा गौरी पूजा | श्रावण महिन्यातील प्रत्येक मंगळवारी येणारी पूजा |
श्रावण महत्व | पवित्र महिना समजला जातो |
अधिक मास महत्व | पवित्र महिना जो तीन वर्षामधून येतो |
कोकिळा व्रत | जेव्हा अधिक महिना आषाढ महिन्यात येतो असा योग १९ वर्षानंतर येतो |
कार्तिक महिना | पवित्र महिना समजला जातो |
चातुर्मास | अर्ध आषाढ,श्रावण,भाद्रपद,अर्ध कार्तिक |
महाकुंभ नाशिक | सूर्य आणि बुध जेव्हा सिंह राशीत प्रवेश करतात. |
महाकुंभ उज्जैन | जेव्हा सूर्य किंवा बुध ग्रह वृश्चिक राशीत प्रवेश करतात. |
मुस्लिम सण समारंभ –
भारतामध्ये कित्येक जाती आणि धर्मांचा समावेश आहे म्हणूनच भारतात विविधतेमध्ये एकता असलेली आपल्याला दिसून येते भारत हा एकमेव असा देश आहे जिथे प्रत्येक जात आपला सण आपल्या आपल्या पद्धतीने साजरा करते म्हणजेच स्वतंत्रतेने साजरा करते कारण भारतात वैचारिक दृष्ट्या सर्व जातीपातींना आपले सण आपल्या पद्धतीने साजरे करता येतात.म्हणूनच इस्लामिक सण खालीलप्रमाणे सूचित केलेले आहेत-
इस्लामिक सण | २०२१ | २०२२ | २०२३ |
ईद | १३ मे | ४ मे | २३ एप्रिल |
रमजान | १२ एप्रिल-१२ मे | २ एप्रिल-२ मे | २२ मार्च-२१ एप्रिल |
बकरी ईद | १९ जुलै | ११ जुलै | २९ जून |
अल हिजरा इस्लामिक न्यू इअर | ९-१० ऑगस्ट | ३० जुलै | १९ जुलै |
मोहरम ताजिया | १९ ऑगस्ट | २९ जुलै | १९ जुलै |
हीच तर आपल्या खऱ्या भारताची ओळख आहे विविधतेत एकता अशी. प्रेम,बंधुत्व हेच तर या सण समारंभाचे खरे स्रोत आहेत. सामाजिक हेतुपरत्त्वे सणानं एक विशिष्ट असं महत्व आहे आणि यानेच आपली संस्कृती टिकून आहे.

प्रतिभा सोनवणे
मी प्रतिभा. गृहिणी आहे. लिहायचा अनुभव नव्हता पण लिहिता लिहिता लिखाणाची आवड निर्माण झाली आणि मनात असलेल्या भावना रीतभातमराठीच्या व्यासपीठावर कथा स्वरूपात छापल्या.